Sunday, June 14, 2015

सेक्स में अरुचि है, जायफल आजमाएं...

सेक्स में अरुचि है, जायफल आजमाएं...

आदिवासियों के अनुसार जायफल का चूर्ण तैयार किया जाए और करीब 2 ग्राम चूर्ण में इतनी ही मात्रा की मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम फ़ांकी मार ली जाए तो हर्बल जानकारों का मानना है कि यह शरीर को पुष्ट बनाता है।

जिन पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं के बनने का सिलसिला कम हो जाए अथवा वीर्य पतला होने की शिकायत हो, उन्हें इस फार्मूले को आजमाकर देखना चाहिए। सन 2005 में बीएमसी कोम्प्लीमेंट्री अल्टरनेटीव मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर भी नज़र डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि नटमेग यानी जायफल क्लिनिकल तौर पर सेक्सुअल एक्टिविटी को सकारात्मक तौर से बढ़ाता है।

अफ्रीका में भी एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ "पोरेज" तैयार किया जाता हैं जो कि सेक्स में अरुचि होने पर महिलाओं को दिया जाता है, इस खाद्य पदार्थ में जायफल का समावेश सिर्फ इसलिए किया जाता है कि यह एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है।
 
 ब्रेन टॉनिक : रोमन और ग्रीक सभ्यताओं में जायफल को एक ब्रेनटॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। जायफल थकान और तनाव दूर करने के लिए भी जाना जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है जिससे बच्चे स्कूल में अधिक एकाग्र हो कर पढ़ाई कर सकते हैं।

दर्द निवारक : जायफल दर्द की पीड़ा को शांत करने में अग्रणी है। प्राचीन चीनी औषधियों में जायफल शीर्ष पर रहता आया है। जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों के दर्द ऑर्थ्रराइटिस के दर्द के छुटकारा पाने के लिए आज भी जायफल के तेल को उम्दा माना जाता है। 
 
अपच की पीड़ा : जायफल अपच दूर करने के लिए हमारे देश में सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। डायरिया, कब्ज, उबकाई आने की समस्या का निवारण जायफल से किया जाता है। अपानवायु के निस्तारण के लिए भी जायफल का प्रयोग होता है।

मुंह की बदबू : मुंह की बदबू को जायफल के पावडर के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। जायफल में एंटिबैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है जिससे मुंह में मौजूद कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। यही वजह है कि जायफल कई ब्रांड के टूथपेस्टों में जम कर इस्तेमाल किया जाता है। 

 लीवर और किडनी शुद्ध होगी जायफल से : शरीर से विषैले पदार्थ हटते ही मरीज फिर पटरी पर लौट आता है। कई तरह के विषैले पदार्थ भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। दूषित जलवायु, तनाव, तंबाकू सेवन, शराबखोरी से भी जटिल विषैले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं। इससे छुटकारा पाने में मदद करता है जायफल। इससे लीवर और किडनी दोनों की शुद्धि होती है।

लीवर के रोगियों के लिए जायफल एक औषधि के तौर पर प्रयोग की जाती है। किडनी स्टोन्स से भी जायफल छुटकारा दिला सकता है। मरीज का लीवर और किडनी स्वच्छ हो तो उसका स्वास्थ भी उत्तम होता है। 





छोटी इलायची के बड़े फायदे....



छोटी इलायची के बड़े फायदे....

 

घर में आम तौर पर ऐसी कई सारी चीजें होती है जिन्हें हम रोजाना मुखवास या मसालों के रूप में उपयोग करते हैं, लेकिन वे मसाले अन्य कई तरह से हमारे लिए उपयोगी एवं लाभकारी होते हैं, जिनकी हमें जानकारी ही नहीं होती .... ऐसी ही एक बेशकीमती चीज है इलायची ...

जी हां आमतौर पर हम लोग इलायची को केवल मुखवास या मसालों की तरह उपयोग में लाते हैं, लेकिन इसके अलावा भी इलायची के कुछ फायदे हैं...
जिस तरह से तुलसी को जडी बूटियों और औषधि‍यों में सबसे  श्रेष्ठ माना गया है, उसी तरह इलायची को मसालों में सर्वोपरि माना जाता है ...लेकिन आखि‍र कौन से गुणों के कारण इसे मसालों की रानी कहा जाता है आइए जानते हैं-



  • इलायची में प्राक़तिक रूप से वाष्पशील तेल मौजूद होता है, जो रोगाणु विरोधी होता है और दर्द के निवारण में सहायक होता है 
  
  • इलायची, एनोरेक्सिया और अस्थमा जैसी सांस से संबंधि‍त अन्य समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद है। 
 
  • इलायची, पाचन तंत्र को उत्तेजित करती है, जिससे अम्ल बढ़ने के कारण पेट फूलने जैसी समस्याओं में लाभ होता है, और इलायची पाचन तंत्र की समस्त गतिविाधि‍यों को मजबूत करती है, जिससे भूख भी बढ़ती है। 

  • सीने में जलन होने एवं गैस से संबंधित समस्याएं होने पर भी इलायची बेहद लाभदायक होती है।
  •  इलायची में पाए जाने वाले अनुत्तेजक तत्व, शरीर के विभिन्न अंगों एवं जोड़ों में अकड़न की समस्या को भी दूर करते हैं। 
  • इसके अलावा प्रतिदिन इलायची का सेवन, कई तरह की बीमारियों से शरीर की रक्षा करने में सहायक होता है। 
 

नपुंसकता दूर भगाए रोज इलायची खाएं...

हमारे देश की जैव विविधता दुनिया के किसी भी दूसरे देश से कहीं ज्यादा है। देश में जितनी किस्म की जड़ी बूटियां और मसाले पैदा होते हैं उतने कहीं और नहीं होते। भारतीय भोजन शैली में मसालों को चटपटेपन के लिए नहीं बल्कि उनके चिकित्सकीय फायदों के कारण डाला जाता है। कई मसाले ऐसे हैं जिनके फायदे तो हम भूल चुके है लेकिन उनका इस्तेमाल हो रहा है। अमृत जड़ी बूटी सीरीज में पढ़िए ऐसे ही मसालों से जुड़ी रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी-
 
हरी इलायची को हम केवल मुंह साफ करने वाले मसाले के तौर पर जानते हैं। हमारी रसोई में यह हमेशा विद्यमान रहती है। इसके कुछ फायदों के बारे में भले ही हमें जानकारी हो लेकिन क्या हम जानते हैं कि दूध और इलायची के संयोग से एक सशक्त वाजीकरण नुस्खा तैयार होता है।
मुंह की बदबू होती है दूर : सभी जानते हैं कि इलायची खाने से मुंह की बदबू दूर होती है लेकिन क्या यह सोचा है कि मुंह से बदबू क्यों आती है। दरअसल पेट खराब होने के कारण मुंह से बदबू आने लगती है। हरी इलायची खाने से पेट का हाजमा ठीक होता है साथ ही इसमें मौजूद एक ताकतवर एंटीबैक्टेरियल रसायन की वजह से मुंह की बदबू भी खत्म होती है।

यह समस्या को जड़ से निकालने में मदद करती है। इसका नियमित सेवन करने के लिए कोई टिप की आवश्यकता नहीं है, हर बार भोजन के बाद इलायची खाना शुरु कर दें। इसके अलावा सुबह उठते ही केवल इलायची की चाय यानी इलायची को पानी में उबालकर एक कप पिएं। इससे आपका हाजमा ठीक हो जाएगा। 
 

सेक्स लाइफ को बढ़ाती है इलायची : इलायची को वाजीकरण नुस्खे के तौर पर भी जाना जाता है। इलायची एक ऐसे टॉनिक के रूप में भी काम करती है जिससे सेक्स लाइफ में इजाफा होता है। यह शऱीर को ताकत प्रदान करने के साथ-साथ असमय स्खलित होने और नपुंसकता की समस्या से भी निजात दिलाने में सक्षम है।  
 
दूध में इलायची डालकर उबालें। खूब अच्छे से उबल जाए तो इसमे शहद मिलाएं और नियमित रूप से रात को सोते समय इसे पी लें। आप देखेंगे कि आपकी सेक्स लाइफ में आनंद के साथ दीर्घता भी शामिल हो गई है। 


हाजमा की प्रक्रिया दुरुस्त होती है : कभी यह सोचा है कि भोजन के बाद इलायची को सौंफ के साथ ही क्यों खाया जाता है? दरअसल इलायची में मौजूद तत्व हाजमें की प्रक्रिया को गति को तेज करने में सहायक होते हैं। इलायची पेट की अंदरूनी लाइनिंग की जलन को शांत करती है हृदयशोथ और उबकाइयां आने के एहसास को दबाती है। 
 
 
यह म्यूकस मैंब्रेन की दाह को शांत करने तथा उसे ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करने के लिए जानी जाती है। यह ऐसिडिटी के लक्षणों को भी कम करती है। आयुर्वेद में तो यह पेट के पानी और वहां मौजूद वायु को ठीक करने वाली मानी गई है।

बदहजमी, पेट फूलना, गैसेस जैसी समस्या से निपटने के लिए हरी इलायची, खड़ा धनिया, लौंग,सुखी अदरक को मिलाकर पीस लें और गर्म पानी के साथ एक चम्मच लें। बदहजमी के कारण उठे सिरदर्द में हरी इलायची की चाय फायदा करती है। 
 
 
 एसिडिटी से छुटकारा : क्या आप जानते हैं कि इलायची में तैल भी मौजूद होता है। इलायची में मौजूद इसेंशियल ऑयल पेट की अंदरुनी लाइनिंग को मजबूत करने में सहायक होता है। एसिडिटी में पेट में एसिड्स जमा हो जाते हैं। उससे पेट की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो सकती है।
 
 
 
 
 इलायची मुंह में लेते ही लार अधिक मात्रा में बनने लगती है इससे एसिडिटी का प्रभाव कम हो जाता है और इससे छुटकारा मिलता है। हर बार भोजन के बाद इलायची जरूर खाएं। भोजन करने के तत्काल बाद बैठने की बजाए इलायची मुंह में दबाकर सौ कदम चलें। आयुर्वेद में इसे शतपादवली चिकित्सा भी कहा जाता है।
 
फेफड़ों की समस्या का निदान : हरी इलायची से फेफड़ों में रक्तसंचार तेज गति होने लगता है, इससे सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी जैसे रोगों के लक्षणों में कमी आती है। आयुर्वेद में इलायची को गर्म तासीर का माना गया है जो शरीर को अंदर से गर्म करती है। इससे बलगम और कफ बाहर निकालकर छाती की जकड़न को कम करने में मदद मिलती है।
 



यदि छाती में जुकाम की वजह से जकड़न हो गई हो और सांस लेना दूभर हो रहा हो तो इलायची का तेल की चंद बूंदें उबलते हुए पानी में डाल दें और इस पानी की भाप लें। भाप 15 मिनट से कम नहीं लेना चाहिए। बीच बीच में चेहरे से पानी पोंछते रहें लेकिन इस प्रक्रिया को अधबीच में ना छोड़ें।

रक्तअल्पता को कम करती है इलायची : इलायची में मौजूद है एक महत्वपूर्ण धातु यानी तांबा। इसके अलावा इसमें लौहांश, आवश्यक विटामिन्स जैसे राइबोफ्लाविन, विटामिन सी, और नियासिन भी मौजूद रहते हैं। इन सभी तत्वों को लाल रक्तकणों को उत्पन्न करने एवं बढ़ाने में महत्वपूर्ण माना जाता है।




शरीर में रक्त की कमी के कारण पैदा हुए लक्षणों को कम करने में इलायची महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रक्तअल्पता दूर करने के लिए इलायची पावडर को हल्दी के साथ गर्म दूध में डालकर लेना चाहिए। चाहें तो मिश्री अथवा गुड़ से मीठा भी कर सकते हैं। गुड़ में अधिक मात्रा में लोहा होता है जिससे रक्तअल्पता का ठीक तरह से मुकाबला किया जा सकता है।
 
 
विषैले तत्वों को दूर करती है इलायची : शरीर से विषैले तत्वों का निष्काषन करने में इलायची मदद करती है। यह फ्री रेडिकल्स का भी मुकाबला करती है। इलायची मैंगनीज नामक खनिज का भी एक बड़ा स्रोत है। मैंगनीज से ऐसे एंजाइम्स उत्पन्न होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को खत्म करके खा जाते हैं। इसमे विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकाल फेंकने की ताकत होती है जिससे शरीर कैंसर जैसे महारोगों से भी मुकाबला करने के लिए सक्षम हो जाता है।




दिल की धड़कने की गति सुधरती है : इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम जैसे खनिज पदार्थ मौजूद हैं। साथ ही यह आवश्यक नमक की भी खान समझी जाती है। किसी भी इंसान के रक्त, शरीर में मौजूद तरल और ऊतकों का प्रमुख तत्व है पोटेशियम। इलायची के जरिए इसकी खूब आपूर्ति होती है। इसी से इंसान का रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।